घर का चिराग | Ghar Ka Chirag
घर का चिराग | Ghar Ka Chirag:- तीन बज रहे थे,शाम ऑफिस से बस लंच करके काम करने बैठा ही था मैं, मेरा फोन रिंग किया,
वाइफ का फोन था,
वाह कितने टाइम बाद उसने इस वक्त फोन किया वैसे जब शादी हुई थी हमारी तो मैं उसे शुरुआत में रोजाना फोन करके दिन भर का हाल पूछ लिया करता था,
पर अब समय के साथ इतना व्यस्त हो गया अपने काम में की रोजाना फोन करना याद ही नहीं रहता।
खैर मैंने भारी आवाज में कहा हैलो !
हां सुनो ?
उसकी आवाज में बहुत घबराहट थी,
क्या हुआ बोलो ?
बहुत सहमी सी बोली कि
आयान ?
हां क्या आयान बोलोगी ?
मैंने थोड़ा गुस्से में कहा।
आयान अब तक घर नहीं आया !
क्या ?
कितने बजे छुट्टी होनी थी उसकी ?
उसके स्कूल फोन किया ?
स्कूल की छुट्टी एक बजे हुई है और अब तक नहीं आया वो।
स्कूल से तो निकल गया मैंने फोन करके पूछा था।
तो ?
उसके उस दोस्त का क्या नाम है यार उसके घर फोन किया ?
हां वो तो आज स्कूल गया ही नहीं था।
मुझे बहुत डर लग रहा है सुनो तुम उसके स्कूल जाकर एक बार पता करो।
अरे आशा तुम डरो मत , फालतू मत सोचो , हो सकता है उसकी स्कूटी पनचर हो गई हो।
मैं निकल रहा हूं ऑफिस से उसके स्कूल जाकर पता करता हूं, हो सकता है रास्ते में मिल जाए।
आयान !!
मेरा लाड़ला, मेरा सबकुछ , मेरी और आशा की दुनिया है आयान ।
जब कभी बीमार पड़ जाता है ना वो तो पूरा घर एक हो जाता है।
आशा ने आयान के होने के बाद नौकरी छोड़ दी, और पूरा ध्यान उसकी परवरिश पर दिया। अच्छे स्कूल में पड़ाई, क्रिकेट कोचिंग, डांस क्लास पूरा दिन अब आशा का आयान के कामों में कैसे गुजरता है उसे पता ही नहीं चलता।
अभी कुछ दिन पहले जब 8th का रिजल्ट आया उसका उसे स्कूटी दिलाई थी।
बहुत जिद की थी उसने की उसके सारे दोस्त अब स्कूटी पर आते है, स्कूल बस से जाना उसे पसंद नहीं,
उसकी जिद के आगे हमें हारना पड़ा
और फिर उसकी खुशी देखकर हमें बहुत सुकून मिला।
कहां हमारा बचपन पूरा साईकिल के लिए तरसा, पूरे घर में एक साईकिल थी खैर आयान रोजाना अब अपनी स्कूटी से ही स्कूल जाता है ।
कहीं जाना होता है आशा को तो ले भी जाता है सही है, अब आशा मुझसे कम ही लड़ती है सारे काम आयान के साथ जाके कर आती है।
अरे साहब आप !
भईया आयान है 9th सी में ,
वो स्कूल में है क्या घर नहीं पहुंचा अब तक ? मैंने गार्ड से पूछा,
साहब स्कूल में कोई भी नहीं है हमने सारी क्लास चैक की है सब जा चुके है।
ओके ये लड़का गया कहां फिर ?
उसके एक दोस्त के घर गया उसने कहा कि अंकल वो तो तुरन्त निकल गया था अपनी स्कूटी से पहुंचा नहीं ?
इतने में मेरा फोन रिंग हुआ unknown नंबर से ,
मैंने उठाया तो उन्होंने बोला की आपका बेटा ?
क्या ??
मैं बस इतना सुनकर ही सहम गया था,
उनकी आवाज में कुछ था जो मुझे डरा गया।
मैंने बोला हां मेरा बेटा घर नहीं आया आप कोन बोल रहे हो कहां से बात कर रहे हो ? एक साथ इतने सवाल मैंने पूछ लिए ।उन्होंने कहा कि हम सरकारी अस्पताल से बात कर रहे हैं आपके बेटे का एक्सिडेंट हो गया है तो उसे यहां लाया गया है उसकी स्कूल की डायरी में आपका नंबर मिला है इसलिए आपको सूचित किया है।
मेरे पैरो के नीचे से जमीन खिसक गई, मैंने अपनी गाड़ी हस्पताल की तरफ ली । इतना में अपनी जिंदगी में कभी नहीं डरा था। एक्सिडेंट कैसे हुआ ? कितना भयानक हुआ होगा ? वो तो बच्चा है यार ये सब सोच में डरते हुए हस्पताल पहुंचा ।
मैं भागते हुए उस आदमी को फोन करते हुए अंदर घुसा। उसने कहा कि पहली मंजिल पर उसे भर्ती कराया गया है। मैं वहां पहुंचा , पुलिस के कुछ अफसर भी वहां मौजूद थे।
मैंने पूछा क्या हुआ कैस ये सब ?
उन्होंने कहा बहुत तेज चला रहा था स्कूटी, अपने ही स्कूल के लडके के साथ रेस लगा रह था सामने अचानक से कोई सड़क पार करने के लिए निकला अचानक इसने ब्रेक मारे और इससे स्कूटी संभली नहीं आौर divider से टकरा कर नीचे गिर गया। सर में बहुत चौट अाई है। अंदर बेहोश है बहुत खून बह चुका है डॉक्टर कोशिश कर रहे बचाने की उसे पर !
कितने साल का है आपका आयान ?
14 साल का है सर,
मेरी आंखो मैं आंसू आगाए, शरीर ठंडा पड़ गया था।
इधर आशा के फोन पर फोन आ रहे थे।
आशा इन सबसे वाकिफ नहीं थी मैंने उसका फोन उठाया भी नहीं और कहा क्या में उसे देख सकता हूं ?
बिल्कुल अफसर ने कहा आप बाहर से उसे देख लो।
मेरा दिल बहुत जोरो से धड़क रहा था मैंने अपनी नम आंखें उस खिड़की से डरते हुए बिस्तर पर बेसुध लेटे पट्टियों से लिपटे बच्चे किं तरफ की, कुछ आंखोे के आगे दुंधला पन सा छाया था आंखे पोंछ फिर देखा तो वो आयान नहीं था।
पीछे से उस अफसर ने मेरे कांधे पर हाथ रखा कहा की ये आयान नहीं आकाश है आयान का दोस्त,
जिसके साथ आयान रेस लगा रहा था।
पीछे से आवाज आई डरती हुई पापा।
आयान !!
मैंने पलट कर देखा आयान भागता हुआ आया और मुझसे लिपट कर रोने लगा।
मैंनेउसके बाल सहलाते हुए उसे चूमा शायद 5-6 साल बाद उसे इस तरह गले लगाया होगा मैंने।
मैंने आंसू पोंछे।
उस अफसर ने कहा कि आप अपने बच्चे से इतना प्यार करते हो फिर भी अपने इसे स्कूटी दिला दी ।
हो सकता था कि आकाश की जगह आयान वहां लेटा होता।
बात बहुत छोटी है पर जिस पर गुजरती है उसके लिए जिंदगी भर का दुख हो जाती है। अपने बच्चो की ख्वाहिश पूरी करो पर इतनी नहीं कि आप उनको हमेशा के लिए खो दो।
14 साल का बच्चा इतना समझदार नहीं की वो सड़क पर स्कूटी चलाए।
वो खुदकी और सड़क पर चलने वाले कई लोगो की जान जोखिम में डाल वाहन चला रहा होता है।
आप धनवान है इसका दिखावा अपने नाबालिग बच्चो को वाहन दिला कर मत कीजिए।
अगर आज आकाश की जगह वहां आयान मिलता तो आप भी जो भाई साहब वहां बैठे है अपनी धर्मपत्नी के साथ उनकी तरह खुद को कोस रहे होते ।
मैंने उनकी तरफ देखा। उनका हाल देख मैं समझ गया कि क्या बीत रही होगी उन पर थोड़ी देर पहले मेरा भी हाल कुछ ऐसा ही था।
खैर अब मैं समझ चुका था उस अफसर ने मुझे जीवन भर का सबब दिया था कि हादसे यूंही नहीं होते,
कहीं ना कहीं हमारी लापरवाही ही इनकी वजह होती है।
खैर मैं आयान को लेकर घर पहुंचा ।
आयान चुपचाप सा था कुछ कहा नहीं उसने आशा को रात में आयान के सोने के बाद सारा किस्सा सुनाया तो वो भी रात भर ना सो पाई।
बस हम यही सोच रहे थे कि आयान के बिना हमारी जिंदगी में कुछ भी नहीं है।
आकाश को डॉक्टर बचा नहीं पाए।
5 दिन बाद उसकी मृत्यु हो गई।
आयान उस शाम से सहमा सा हो गया।
अब वो स्कूटी पर बैठने में भी डरने लगा था।
क्यूं ना डरे उसने अपने दोस्त को जो खोया था।
बस इतनी सी है ये कहानी की अपने बच्चो से प्यार करो पर उनकी ख्वाहिशें पूरी भी करो पर थोड़ा संभल कर कहीं आप अपने बच्चो की जिद में उन्हें खो ना दें।
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