Dilo Ki Mithas Hindi Poem -दिलो की मिठास कविताओं का संग्रह है जो दिलो के प्रेम को दर्शाता है और हमे प्रेम करने की प्रेरणा देता हैदिलो की मिठास की मिठास को दर्शाते हुए कुछ कविताये आपके समुख है
Dilo Ki Mithas Hindi Poem-दिलो की मिठास
जब चाय में मिठास, थोड़ी कम पाई
तब तेरे लबों की, बहोत याद आई…!!
रिश्तों में सदा प्यार की मिठास रहे !
कभी न मिटने वाला एक एहसास रहे !!
कहने को तो छोटी सी है यह जिंदगी !
मगर दुआ है कि सदा आपका साथ रहे !!
अजीब मिठास है मुझ गरीब के खून में भी,
जिसे भी मौका मिलता है वो पीता जरुर है
हर रिश्ते में मिठास होगी
शर्त बस सिर्फ इतनी सी है कि शरारतें करो साज़िशे नहीं.
बड़ा मिठा नशा है तेरी याद का …..
वक़्त गुजरता गया और हम आदी होते गए।
है दर्द सीने में मगर होंठों पे जज़्बात नहीं आते ,
आखिर क्यों वापिस वो बीते हुए लम्हात नहीं आते !
आपकी लाइफ में मिठास हो कैडबरी जैसी,
रौनक हो नेरोलक पेंट जैसी, दिल में अभिषेक हो प्यार जैसी,
महक हो परफ्यूम जैसी, ताजगी हो बबूल जैसी,
और टेंशन फ्री हो हगीईज जैसी।
मोहब्बतों में बहुत रस भी है मिठास भी है
हमारे जीने की बस इक यही असास भी है
कभी तो क़ुर्ब से भी फ़ासले नहीं मिटते
गो एक उम्र से वो शख़्स मेरे पास भी है
किसी के आने का मौसम किसी के जाने का
ये दिल कि ख़ुश भी है लेकिन बहुत उदास भी है
बदन के शहर में आबाद इक दरिंदा है
अगरचे देखने में कितना ख़ुश-लिबास भी है
ये जानते हैं कि सब थक के गिर पड़ेंगे कहीं
शिकस्ता लोगों में जीने की कितनी आस भी है
वो उस का अपना ही अंदाज़ है बयाँ का ‘अमान’
हर एक हुक्म पे कहता है इल्तिमास भी है
Dilo Ki Mithas-दिलो की मिठास
दिल की बैचेनी को,
कैसे हम मिटाये।
जो गम है जिंदगी में,
उन्हें कैसे भूल जाये।
कुछ तो बताओ हमें,
कैसे सुख शांति पाएँ।
बिखरी हुई हैं जिंदगी,
कैसे समेटे इसे।
दिल में बसी जो मूरत,
उसे कैसे निकाल दें।
कैसे पुकारू तुमको,
अब तुम ही बता दो।
और दो प्रेमीयों को,
आपस में मिला दो।
कब से तड़प रहे हैं,
मिलने को दो दिल।
कैसे मचाल रहे है,
खिलने को दो दिल।
कैसे मिलाए इनको,
अब तुम्हीं बताओं।
मोहब्बत के इस रिश्ते को,
कोई नाम दिलाओ।
और प्यार मोहब्बत से ,
लोगो को जीना सिखलाओ।
अब जो बिछडे हैं, तो बिछडने की शिकायत कैसी ।
मौत के दरिया में उतरे तो जीने की इजाजत कैसी ।।
जलाए हैं खुद ने दीप जो राह में तूफानों के
तो मांगे फिर हवाओं से बचने की रियायत कैसी ।।
फैसले रहे फासलों के हम दोनों के गर
तो इन्तकाम कैसा और दरमियां सियासत कैसी ।।
ना उतावले हो सुर्ख पत्ते टूटने को साख से
तो क्या तूफान, फिर आंधियो की हिमाकत कैसी ।।
वीरां हुई कहानी जो सपनों की तेरी मेरी
उजडी पड़ी है अब तलक जर्जर इमारत जैसी ।।
अब जो बिछडे हैं, तो बिछडने की शिकायत कैसी ।
मौत के दरिया में उतरे तो जीने की इजाजत कैसी ।।
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लम्हे वो प्यार के जो जिए थे, वजह तुम थे
ख्वाब वो जन्नत के जो सजाये थे, वजह तुम थे
दिल का करार तुम थे,
रूह की पुकार तुम थे
मेरे जीने की वजह तुम थे
लबों पे हँसी थी जो , वजह तुम थे
आँखों में नमी थी जो, वजह तुम थे
रातों की नींद तुम थे,
दिन का चैन तुम थे
मांगी थी जो रब से वो दुआ तुम थे
मेरी दीवानगी तुम थे,
मेरी आवारगी तुम थे
बनाया मुझे शायर,
वो शायरी तुम थे
तुम थे तो हम थे,
मेरी जिंदगी तुम थे
ख़्वाबों में जो देखि थी दुनिया,
वो दुनिया कितनी हसीन थी
शांति थी चारो ओर
खुशियां ही हर जगह बिखरी थी
न थे ये सीमायों के मसले,
न थे ये धर्मो के संकट,
मुस्कान हर चेहरे पर खिली थी
ख़्वाबों में जो देखि थी दुनिया
वो दुनिया कितनी हसीन थी
न थे ये शोर शराबे,
न थे ये खून खराबे,
इंसानो के दिलो में इंसानियत दिखी थी
ख़्वाबों में जो देखि थी दुनिया
वो दुनिया कितने हसीन थी
मगर ये दुनिया
ये दुनिया हिन्दू-मुसलमान की,
ये दुनिया भारत-पाकिस्तान की,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है !!
ये दुनिया तो न थी उन ख़्वाबों में
यहाँ तो हर रोज जवान मरते हैं,
यहाँ तो इंसान ही इंसानो से डरते हैं
न कभी उन ख़्वाबों के टूटने की उम्मीद थी
ख़्वाबों में जो देखि थी दुनिया,
वो दुनिया कितनी हसीन थी