2 Story Power of Concentration for Success | सफलता के लिए आवश्यक एकाग्रता

Power of Concentration for Success
Power of Concentration for Success

Power of Concentration for Success | शिष्य की एकाग्रता

Power of Concentration for Success:- एक आश्रम में एक शिष्य शिक्षा ले रहा था। जब उसकी शिक्षा पूरी हो गयी तो विदा लेने के समय उसके गुरु ने उससे कहा – वत्स, यहां रहकर तुमने शास्त्रो का समुचित ज्ञान प्राप्त कर लिया है, किंतु कुछ उपयोगी शिक्षा अभी शेष रह गई है। इसके लिए तुम मेरे साथ चलो।

शिष्य गुरु के साथ चल पड़ा। गुरु उसे आश्रम से दूर एक खेत के पास ले गए। वहां एक किसान अपने खेतों को पानी दे रहा था। गुरु और शिष्य उसे गौर से देखते रहे। पर किसान ने एक बार भी उनकी ओर आँख उठाकर नहीं देखा। जैसे उसे इस बात का अहसास ही ना हुआ हो कि उसके पास में कोई खड़ा भी है। कुछ देर बाद गुरु और शिष्य वहां से चल दिए।

वहाँ से आगे बढ़ते हुए उन्होंने देखा कि एक लुहार भट्ठी में कोयला डाले उसमें लोहे को गर्म कर रहा था। लोहा लाल होता जा रहा था। लुहार अपने काम में इस कदर मगन था कि उसने गुरु शिष्य की ओर जरा भी ध्यान नहीं दिया। कुछ देर बाद गुरु और शिष्य वहां से भी चल दिए।

फिर दोनों आगे बढ़े। आगे थोड़ी दूर पर एक व्यक्ति जूता बना रहा था। चमड़े को काटने, छीलने और सिलने में उसके हाथ काफी सफाई के साथ चल रहे थे। कुछ देर बाद गुरु ने शिष्य को वापस चलने को कहा।

शिष्य को कुछ समझ में नहीं आया | उसके मन में प्रश्न उठने लगे कि आखिर गुरु चाहते क्या हैं ? शिष्य के मन कि बात को भाँपते हुए गुरु ने उससे कहा – वत्स, मेरे पास रहकर तुमने शास्त्रों का अध्ययन किया लेकिन व्यवहारिक ज्ञान की शिक्षा बाकी थी। तुमने इन तीनों को देखा। ये अपने काम में संलग्न थे। अपने काम में ऐसी ही तल्लीनता आवश्यक है, तभी व्यक्ति को सफलता मिलेगी।

मित्रों इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि हमें अपने काम को इतनी ही तल्लीनता, संलग्नता, और एकाग्रता के साथ करना चाहिए।जब हम किसी काम को करे तो हमारे दिमाग में उस काम के अलावा कुछ नहीं होना चाहिए। तभी हमें सफलता मिल सकती है।

                                मिट्टी के खिलौने जितनी आसानी से मिल जाते हैं, उतनी आसानी से सोना नहीं मिलता। पापों की ओर आसानी से मन चला जाता है, किंतु पुण्य कर्मों की ओर प्रवृत्त करने में काफी परिश्रम करना पड़ता है। पानी की धारा नीचे पथ पर कितनी तेजी से अग्रसर होती है, किन्तु अगर ऊँचे स्थान पर चढ़ाना हो, तो पंप आदि लगाने का प्रयत्न किया जाता है।

Power of Concentration for Successfull Job

वेदांश ने कुछ समय पहले ही MBA किया था और उसे एक अच्छी नौकरी (Jobs ) की तलाश थी। तीन दिन पहले की ही बात है, उसने एक Interview  दिया था और कल ही उसके पास उस कंपनी से Call आ गयी।

आज वह बहुत खुश था क्योंकि आज वह दिन है जब वह उस Company को  Join कर रहा है। बड़ी ही गर्मजोशी के साथ उसने अपनी नौकरी (JOBS )  शुरू की।

जिम्मेदारियों को सही से निभानेवाला एक काबिल इंसान था। इसलिए कंपनी का मालिक वेदांश को बहुत पसंद करता था।………

अभी कुछ ही दिन हुए उसे नौकरी (JOBS )  करते हुए कि उसका मन ऑफिस से ऊबने लगा। उसने देखा कि उसके सहयोगी अपने काम से मन चुराते थे। काम न करने का कोई न कोई बहाना बनाते रहते थे। कभी कभी वह एक दूसरे से अपने बॉस की बुराई करने में ही बहुत समय बिता देते थे।

इस तरह का वातावरण वेदांश को पसंद नहीं आ रहा था। उसने महसूस किया कि यहाँ पर काम करने वाले लोगों की सोच अच्छी नहीं है।

क्योंकि वह खुद ऐसा कभी नहीं करता इसलिए उसे लगा कि उसके साथ कार्य करने वाले लोगों का लेवल अच्छा नहीं है।

यही सब सोचकर उसने नौकरी (JOBS )  छोड़ने का मन बना लिया और नौकरी छोड़ने की एप्लीकेशन के साथ अपने बॉस के ऑफिस में पहुँच गया।

बॉस ने उसकी एप्लीकेशन देखी और पूछा, “क्या बात है वेदांश, नौकरी (JOBS )  क्यों छोड़ना चाहते हो?”

वेदांश ने बॉस को पूरी बात बताई और बोला, “मैं ऐसे लोगों के साथ काम नहीं कर सकता। उन लोगों का Thinking Level बहुत नीचा है।”

बॉस ने कुछ देर सोचा और कहा, “यह तुम्हारी मर्जी है। चाहो तो नौकरी (JOBS )  छोड़ सकते हो लेकिन नौकरी (JOBS )  छोड़ने से पहले मैं आपको एक काम दूंगा। क्या तुम करना चाहोगे?”

वेदांश ने रिप्लाई दिया, “क्यों नहीं सर, बताइये, क्या करना है।”

तभी बॉस एक पानी से भरा गिलास देते हुए वेदांश से बोले, “तुम इस गिलास को लेकर अपने ऑफिस के दो चक्कर लगाओ और फिर मेरे पास आओ लेकिन एक बात ध्यान रखना गिलास में से एक बूँद भी पानी नीचे न गिरे।”

वेदांश को यह काम बहुत अजीब लगा लेकिन वह वादा कर चुका था। फिर क्या था, वेदांश उस पानी से भरे गिलास को लेकर ऑफिस के चक्कर लगाने लगा। जब दो चक्कर पूरे हो गए तो वह बॉस के ऑफिस में फिर पहुंचा और बॉस को इस बारे में बताया।

अब बॉस ने उससे प्रश्न पूछा, “क्या एक बूँद भी पानी नहीं गिरा?”

वेदांश बोला, “बिलकुल नहीं सर! पर आपने ऐसा करने को क्यों कहा सर?”

बॉस ने फिर प्रश्न किया, “जब तुम पानी से भरे गिलास को लेकर ऑफिस में घूम रहे थे तो ऑफिस के लोग क्या कर रहे थे?”

वेदांश ने कुछ सोचा और बोला, “सर, पता नहीं वह क्या कर रहे थे क्योंकि मेरा ध्यान गिलास के पानी पर था। मुझे लगता है सभी लोग उस समय अपना कार्य से कर रहे थे। कोई एक दूसरे से बात नहीं कर रहा था।”

तभी बॉस हँसकर बोले, “ऐसा नहीं है, सभी लोग वही कार्य कर कर रहे थे जिससे तुम्हे प्रॉब्लम होती है। लेकिन तुम्हारा ध्यान उस समय उन लोगों पर न होकर पानी से भरे गिलास पर था। जिसकी वजह से तुम अपना कार्य भी सही से कर पाए और लोगों की ओर तुम्हारा ध्यान भी नहीं गया।

यह सुनकर अब वेदांश भी मुस्कुरा रहा था।

बाद में बॉस बोले, “सोचो, यदि पानी से भरे गिलास की जगह तुम्हारा काम हो जो तुम ऑफिस में करते हो और तुम उस काम को यदि उसी एकाग्रता से करो जिस एकाग्रता से पानी से भरे गिलास को ले जा रहे थे तो तुम्हारा ध्यान लोगों की तरफ जायेगा ही नहीं।

वेदांश अभी भी मुस्कुरा रहा था। अब वह आगे बढ़ा और अपनी एप्लीकेशन उठाकर बॉस के केबिन से बाहर निकला और अपने काम में एकाग्रता से जुट गया।

Moral_Of_this_Hindi_Story_The_Power_of_Concentration दोस्तों, इस नैतिक हिंदी से हमें जीवन की बहुत बड़ी शिक्षा (Life Lesson) मिलती है। अधिकतर लोग जीवन में सफलता (Success in Life) केवल इसलिए प्राप्त नहीं कर पाते क्योंकि वह इधर उधर लोगों की बातों पर या अपने आसपास हो रही घटनाओं पर ही ध्यान लगाते रहते हैं

और अपने कार्य में एकाग्रता नहीं ला पाते जबकि उनमे अपने कार्य को अच्छे से की योग्यता होती है।वेदांश एक योग्य युवक है लेकिन अपने सहयोगियों के कार्य और बातों की वजह से वह अच्छा महसूस नहीं कर पा रहा था और अपने कार्य पर भी एकाग्रता (Focus) नहीं ला पा रहा था।

लेकिन जैसे ही उसने एकाग्रता की शक्ति (Power of Concentration) को समझा, उसने अपने नौकरी छोड़ने के निर्णय को बदल दिया और अपने कार्य को एकाग्रता से करने लगा।

रहने से हमारा ध्यान इधर उधर नहीं भटक पाता और पूरा  काम पर होने से वह बहुत अच्छी तरह पूरा होता है।

एकाग्रता हमारे माइंड की वह शक्ति (The Power of Concentration) है जिसको हम यदि किसी काम पर केंद्रित करते हैं तो हमारे दिमाग की पूरी ऊर्जा उस कार्य को पूरा करने में जुट जाती है और वह कार्य पूर्ण होकर ही रहता है। किसी ने सही कहा है कि “एकाग्रता हमारे मस्तिष्क की वह शक्ति होती है जो सूर्य के समान होती है, जब वह एक जगह केंद्रित होती है तो चमक उठती हैं। दोस्तों! यह Best Moral Hindi Story आपको कैसी लगी?

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