Ishwar Par Vishwas | Fath in God | ईश्वर पर विश्वास
Ishwar Par Vishwas | Fath in God:- हम ईश्वर (God) को मानते हैं जरूर पर उस पर पूरी तरह विश्वास नहीं करते। हम अपने जीवन में होने वाली अच्छी-बुरी घटनाओं, लाभ-हानि को सामने रखकर ईश्वर विश्वास को कम-ज्यादा करते रहते हैं। पूरी निष्ठा के साथ यदि ईश्वर पर विश्वास करें जो कुछ मिले उसे स्वीकारें तो कभी दु:ख नहीं होता, परेशान नहीं होंगे।
एक बार एक आदमी रेगिस्तान में जा रहा था | तभी रेत भरी आँधी चली और वो रास्ता भटक गया | उसके पास खाने-पीने की जो थोड़ी-बहुत चीजें थीं वो भी जल्द ही ख़त्म हो गयीं और हालत ये हो गयी की वो बूँद – बूँद पानी को तरसने लगा | पिछले दो दिन से उसने पानी पीना तो दूर , पानी पिया भी नहीं था | वह मन ही मन जान चुका था कि अगले कुछ घंटों में अगर उसे कहीं से पानी नहीं मिला तो उसकी मौत पक्की है।
पर कहते हैं न जब तक सांस है तब तक आस है | उसे भी कहीं न कहें उसे ईश्वर पर यकीन था कि कुछ चमत्कार होगा और उसे पानी मिल जाएगा…तभी उसे एक झोपड़ी दिखाई दी! उसे अपनी आँखों यकीन नहीं हुआ..पहले भी भ्रम के कारण धोखा खा चुका था…( जैसा की आप जानते हैं रेगिस्तान में पानी की इमेज बनी दिखती है जिसे मृगतृष्णा भी कहते हैं ) पर बेचारे के पास यकीन करने के आलावा को चारा भी तो न था! आखिर ये उसकी आखिरी उम्मीद जो थी!
वह अपनी बची-खुची ताकत से झोपडी की तरफ रेंगने लगा…जैसे-जैसे करीब पहुँचता उसकी उम्मीद बढती जाती… और इस बार भाग्य भी उसके साथ था, सचमुच वहां एक झोपड़ी थी!
पर ये क्या? झोपडी तो वीरान पड़ी थी! मानो सालों से कोई वहां आया न हो। फिर भी पानी की उम्मीद में आदमी झोपड़ी के अन्दर घुसा | वहां एक हैण्ड पंप लगा था, आदमी एक नयी उर्जा व् उत्साह से भर गया…पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसता वह तेजी से हैण्ड पंप चलाने लगा। लेकिंग हैण्ड पंप तो कब का सूख चुका था…आदमी निराश हो गया…उसे लगा कि अब उसे मरने से कोई नहीं बचा सकता…वह निढाल हो कर गिर पड़ा!
तभी उसे झोपड़ी के छत से बंधी पानी से भरी एक बोतल दिखी! वह किसी तरह उसकी तरफ लपका!वह उसे खोल कर पीने ही वाला था कि तभी उसे बोतल से चिपका एक कागज़ दिखा….उस पर लिखा था-
इस पानी का प्रयोग हैण्ड पंप चलाने के लिए करो…और वापस बोतल भर कर रखना नहीं भूलना।
ये एक अजीब सी स्थिति थी, आदमी को समझ नहीं आ रहा था कि वो पानी पिए या उसे हैण्ड पंप में डालकर उसे चालू करे!उसके मन में तमाम सवाल उठने लगे| अगर पानी डालने पे भी पंप नहीं चला|.अगर यहाँ लिखी बात झूठी हुईतो ? क्या पता जमीन के नीचे का पानी भी सूख चुका हो…लेकिन क्या पता पंप चल ही पड़े |क्या पता यहाँ लिखी बात सच हो | वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे!
अजीब उहापोह से गुजरने के बाद उसने उस बात पर यकीन करने का मन बनाया | वो बोतल भर पानी जो उसकी जिंदगी बचा सकता था उसे उसने पंप चलाने में खर्च कर दिया | ख़ुशी की बात थी की पम्प चालू हो गया | वो पानी किसी अमृत से कम नहीं था… आदमी ने जी भर के पानी पिया, उसकी जान में जान आ गयी, दिमाग काम करने लगा। उसने बोतल में फिर से पानी भर दिया और उसे छत से बांध दिया। जब वो ऐसा कर रहा था तभी उसे अपने सामने एक और शीशे की बोतल दिखी। खोला तो उसमे एक पेंसिल और एक नक्शा पड़ा हुआ था जिसमे रेगिस्तान से निकलने का रास्ता था।
उस आदमी का काम तो बन गया | अब वो उस रास्ते को याद करके रेगिस्तान से बाहर निकल सकता था | उसने कागज़ को वापस बोतल में डाला और ईश्वर का नाम ले कर आगे बढ़ चला | तभी उसके दिमाग में एक विचार कौंधा | वो वापस लौटा | उसने पानी वाली बोतल पर कुछ लिखा फिर यात्रा पर चल दिया | क्या आप जानना चाहेंगे की उसने क्या लिखा | उसने लिखा ……
मेरा यकीन करिए…ये काम करता है !
दोस्तों जिन्दगी में यकीन का बड़ा अहम् रोल है | हम जिस बात पर यकीन करते हैं उसे कर जाते हैं कई बार अनिर्णय की स्तिथि यकीन न करने की वजह से होती है | अगर आप जिंदगी में सफल होना चाहते हैं तो अपने काम अपनी प्रतिभा पर यकीन करिए |
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very nice story